Friday, August 23, 2019

 मेरा नाम तिशा है | में एक हौसला की कहानी जो इस अध्याय में लिखना चाहती हु | यह एक सच्ची घटना है | यह बात है | मेरे साथ पड़ने वाली एक लड़की की जो मेरी सहपाठी थी | हमारी मुलाकात २०१८ अगस्त में  उदयपुर के एल.एल. बी. B.N  कॉलेज में हुई  | जो मुझसे उम्र मे भी छोटी है | वो हमेशा मुझे खुश ही लगती थी | वह अनुछुचित जाती की थी | दिखने में भी ठीक -ठाक थी | COLLAGE  में सब उसे घृणा की नजर से देखते थे | क्यों की न तो दिखने मे वो  अच्छी थी | और ना ही वो रिच फॅमिली से BELONG  करती थी कोई भी उसे पसंद नहीं करता था | लेकिन मेरा तो उसके साथ आना जाना था| क्यों की उस समय मेरे भी उस कॉलेज में कोई फ्रेंड नहीं था | जैसे जैसे में COLLAGE जाने लगी मेरी और भी फ्रेंड बन गयी |  वो दो दिन COLLAGE  आई उसके बाद उसने आना बंद कर दिया| और नहीं उसका काफी दिनों से कॉल आया था मेरे पास | मेने भी उससे बात करने की कोशिश की लेकिन उसका कभी कॉल ही नहीं लगता | फिर जब हमारे इंटरनल EXAM  शुरू होने वाले थे | तब उसका कॉल आया | उसने COLLAGE  के EXAM  के बारे में पूछा  लेकिन मुझे गुस्सा आ रहा था उस पर मेने बोल दिया अब मतलब के लिए कॉल किया तूने में कुछ नहीं बताने वाली फिर उसने मुझसे बहूत मिन्नत की मुझसे  फिर मेने सब बताया  वो मुझे अगले दिन कॉलेज में मिली | वो काफी दुखी  और थकी हुई भी थी | कोई भी उससे बोल नहीं रहा था | वो सबसे बात करने की कोशिश भी करती लेकिन कोई नहीं बोलता मेने उसे समझाया   क्या  जरूरत है किसी से बोलने की में तुम्हे सब बता दूगी | अपना रुतबा रखो कोई बोले तो ठीक है वरना किसी के आगे क्यों हाथ फैलाना | इन बातो से सायद उस पर कोई असर हुआ उसके बाद वो खुद में  मस्त रहती | एक दिन  एग्जाम देकर घर जा रहे थे | तब मेने उससे पूछा तुम परेशान क्यों हो | वो कुछ नहीं बताती बस हस देती | में भी  ज्यादा नहीं पूछती उससे ऐसे ही हमेशा एग्जाम देते घर जाते | इंटरनल एग्जाम का अंतिम दिन था | तब मेने उससे सारी बात पूछी |तब उसने मुझ  पर यकींन  करके अपनी बचपन   से लेकर अब तक की सारी  बात बताई | उसका जन्म १९९५ में हुआ था | वह एक मध्यम  परिवार से थी | उसे  शिक्षा  तो मिली लेकिन  माँता  पिता का प्यार  नहीं मिला |  वह अपने घर से दूर एक हॉस्टल में रहती थी | जब वह पहली क्लास में थी जब  से वो  घर से बहार रही | उसके माँ  पापा  कभी भी उससे  मिलने नहीं आये | स्कूल का  खर्चा उसके मामा  ही देख लेते |  वह  अपने घर  भी जाती तो भी उसे  भाई  बहन की तुलना में कम प्यार  मिलता वो  इन सब बातो से बहुत दुखी थी | वह समझ नहीं पा रही  थी की उसके साथ ही ऐसा  क्यों  हो रहा है | 
                                                वह जैसे जैसे बड़ी हुई समझदार  होती गई | मामा सहारे जी रही थी | अब उसने collage  भी  पास  कर लिया |  इसी बीच उसने  अपने छोटे मोटे काम  करना  शुरू कर दिया |  जैसे   दुसरो  के घरो में जादू पोछा लगाना | अब  collage में उसे एक लड़के से प्यार  हो गया | उन दोनो ने शादी भी कर ली  अब वह सबसे दूर अपने पति  साथ रहने लग गई | इस बात से दोनों  के घर  वाले बहुत गुस्से में थे | लड़के ने  कुछ दिन तो उसका साथ दिया उसे LAW में एडमिशन  भी कराया | लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह लड़का उसे छोड़कर अपने परिवार में रहने को चला गया | और दूसरी लड़की  से विवाह की तैयारी करने लगा जहा उसके परिवार वाले चाहते थे | मधु फिर से एक बार टूट चुकी थी | अब उसके पास न तो आगे पड़ने के लिए पैसे  थे और नहीं घर का किराया देने  के लिए | एक दिन उसकी माँ और छोटी बहन वहाँ आई और उसे  गालिया देने लग गई |  और जो उसके पास फ़ोन था  उसे उसके मामा से मिला था | वो भी  उससे  ले लिया उस समय हमारे एग्जाम का अंतिम दिन  था |  अब वह क्या करती उसने एक जॉब शुरू की | जिससे उसे कुछ पैसे मिल जाते दिन रात जॉब भी करती और बचे समय में अपने MAIN  एग्जाम  की पढ़ाई भी करती  |    उसने अपने मामा से भी मदद लेने से मना कर दिया | अब उसने उसके  पति के खिलाफ केस भी जारी कर दिया | महिला विभाग से सहायता लेके | उसने अपने पति से अपनी सेफ्टी के लिए जीवन भर के लिए खर्चे की मांग की | एक वकील भी HIRE किया | उसकी जिद्द और केस के आगे उसके पति को जुकना पड़ा उसे अपनी गलती का एहसास भी हुआ | इसी तहर अब वह अकेली रहकर अपना जीवन बिता रही है | पढ़ाई  भी कर रही है | अब पता नहीं वो कहा है | अंतिम मुलाकात  मेरी उससे LAW प्रथम वर्ष  के अंतिम एग्जाम में हुई थी | कुछ दिनों बाद हमारा रिजल्ट भी आ गया और इतनी मुसीबतो के बाद भी उसके सबसे अछे मार्क्स आये |जो भी उससे घृणा करता था वो सब भी उसका रिजल्ट देख के चकित थे किसी को भी यकीं न  नहीं हो रहा था की वो इतने अच्छे मार्क्स भी ला सकेगी |  लेकिन उसे ये सब बताने केलिए उसके कॉन्टेक्ट मेरे पास में नहीं है |  
  I PROUD OF SHES GIRL  
सारांश :- किसी की भी सकल ,कपड़ो  या उसके हालातो  से उसकी काबिलियत का पता नहीं लगाया जाता | हमेशा इंसान को आगे वाले की सकल नहीं  उसकी काबियत से इंसान को जज करना चाहिए |   
                                                                  
                                                             THE END                                                                 

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