लेखक का परिचय :- लेखिका का नाम टीशा वसीटा है |जिनका जन्म १२/०३/१९८७ में हुआ | टीशा एक राजस्थान में एक शहर उदयपुर के पास एक कस्बा जिला राजसमंद कांकरोली में रहने वाली निवासी है जिसकी शिक्षा राजसमंद विधालय और विश्वविधालय से हुई है |इसने B.A (आर्ट्स ) M.A (ENGLISH LIT ) और MS.C (C.S ) किया है | और वर्तमान में LL.B II ND YEAR में पठाई चालू है | यह एक छोटे से मिडिल क्लास परिवार में रहने वाली है |
इनके पिताजी जो एक कोर्ट में पेशगार पोस्ट पर कार्यरत थे | कुछ समय पहले जब तिशा १८ साल की थी |और १२ TH पास कर चुकी थी |जून का समय था तिशा के COLLAGE में प्रवेश लेने का समय था | उनही बिच उनके पिताजी का देहांत हो गया | उनके तीन बहीने और एक भाई है| एक बड़ी बहन जिनका विवाह १६ साल की उम्र में ही हो गया और उनके पति जो कोर्ट में बाबू की पोस्ट पर कार्यरत है |एक बहीन है छोटी है और टीचर की पठाई कर रही है | अब समय था उनकी शादी का लेकिन वो जल्दी विवाह नहीं करना चाहती थी |उनकी माँ जो घरेलु औरत है |वो अपने बचो का पालन -पोषण अपने पति की आई हुई पेंशन से ही करती है | इनके पिजाजी की मुर्त्यु के कुछ समय बाद ही उनके बड़े भाई की पिताजी की जगह पर ही सरकारी नौकरी मिल गई | उनके २ बचे और पत्नी है | हम सब साथ रहते थे| और परिवार का खर्चा माँ और भाई दोनों मिल कर करते है | जिसमे छोटी बहन की पठाई का खर्चा और तिशा की पठाई का खर्चा भी माँ को ही करना रहता है तिशा भी कभी छोटे मोठे जॉब दुढ़ती रहती लेकिन उनका सपना शहर से बहार जाना था |और कमाने का था भाई की इन बात में मनाई थी |इसी बात को लेकर दोनों में बहस भी रहती दोनों आपस में बात भी नहीं करते |तब तिशा ने लिखना शुरू किया | और LL.B की पठाई भी चालू रखी वो गोवेर्मेंट जॉब के लिए प्रयाश भी करती रहती | लेकिन हर तरफ से निराश हो रही थी | अब सफर शुरु होता है| लिखने का |
यह कहानी एक वास्तविक घटना है | एक ऐसे व्यक्ति पर रचित है | जिसने जिंदगी में कभी भी हार नहीं मानी हर परिस्तिथियों का सामना किया और आज भी वो सामना कर रहा है | जिसका अपना खुद का छोटा सा रियल स्टेट का बिसनेस है |
अध्याय
यह कहानी शुरू होती है | एक छोटे से गांव जो पाली डिस्ट्रिक में है वहा रहने वाले एक इंसान की जिसका जन्म १२/०७/१९८४ में हुआ |इनका नाम रणजीत चौहान है | इनका जन्म चौहान वंश में हुआ | ये अपने म्मा पापा की दूसरी संतान है | जिसके ३ भाई है| वैसे तो ये गांव के रहने वाले है | लेकिन इनके पापा का काम अहमदाबाद में चल रहा था इसलिए इनके जन्म के पहले से ही अहमदाबाद में शिफ्ट हो गए थे | इनके पापा एक driver है | और माँ house wife इनकी दयनिय स्थति इतनी अच्छी नहीं थी की इनके तीनो भाइयो को पढ़ाया जा सके | इनकी फैमिली अहमदाबाद के छोटे से एरिया में रहती थी | इनकी स्थिथि इतनी दयनीय थी की इनको एक समय का अच्छा खाना भी मिल पाना मुश्किल था | जब भी इनके घर कोई मेहमान आ जाता तो उनके अच्छा खाना बन जाता तो इनको १० दिनों तक अच्छा खाना नहीं मिल पाता था | ऐसे में ३ नो को पढ़ाना संभव नहीं था | फिर भी इनके पापा ने जैसे तैसे ३ नो भाइयो को एक पास की स्कूल में दाखिला करवा दिया | ३ नो में से रणजीत सबसे होनहार और होशियार था | उनमे पढ़ने की ललक थी | जब की दोनों भाई इतने होशियार नहीं थे | जब वो ३ साल के हुए तब इनके बड़े भाई का एक गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया |
अब घर में ये सबसे बड़े थे | तब इन्हे इतनी समझ नहीं थी | इनके सर पर पड़ने का जूनून सवार था | ये पड़े १०th क्लास में आये और इनके पापा ने इन्हे घर की जिम्मेदारी से अवगत करा दिया और कहा अब पड़ने से कुछ नहीं होगा | कुछ काम शुरू कर दो | लेकिन इन्हे पड़ना भी था | 10th अच्छे अंको से पास हो गए इन्होने एक छोटे से चाय के ढाबे पर चाय पिलाने का काम करना शुरू कर दिया | इससे थोड़ा बहूत पैसा इनके पास आने लग गया | लेकिन इन्हे ऐसा काम करना पसंद नहीं था | एक बात तो थी इनमें जहाँ भी ये जाते अपना अलग से वजूत अपनी छवि छोड़ देते | ऐसा अलग सा तेज था इनमे और काम में स्फूर्ति भी लेकिन किसी के सामने झुकना कतई पसंद नहीं था | इनके पापा कही जगह इनके लिए जॉब देखते ये कुछ समय वहा जॉब करते और भाग जाते | एक किस्सा मुझे याद है | जो उनकी ही जुबानी सुनी थी एक ऑफिस में वो peaon की जॉब करते थे | जब कोई इंटरशिप में नयाआता उन्हें वो यही बताते की में यहा का मैनेजर हूँ | और कई बार तो लोग यकीं भी कर लेते थे |क्यों की इन का बात करने का तरीका भी ऐसा ही था | इनको किसी की सुनना पसंद नहीं था मां पापा से इनको पूरा प्यार कभी मिला नही| फिर भी इन्होने काम किया | और अपनी पढ़ाई भी करते गए | अब इन्होने १२ th भी पूरी कर ली थी | बड़ी city में आगे की पठाई कर पाना मुश्किल था | फिर इन्होने H.R का डिप्लॉमा कोर्स किया | २ year का और अपनी English improve की | फिर कई जगह H.R ऑफिस में इंटरव्यू दिए | लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया क्योकि इनकी EDUCATION कम थी| लेकिन हिम्मत नहीं हारे फिर कई कोशिशों के बाद इन्हे एक अच्छी जगह नौकरी मिल गई | विदेशी tour भी हो जाता था | उस जॉब में कई समय तक ये बहार विदेश में रहने लगे | धीरे धीरे ये सक्सेस होते गए | इनके पापा की भी इन्कम बड़ गयी | अब समय था इनकी शादी का २२ year की उम्र में इनकी शादी भी हो गई | लेकिन इन्हे जिस प्यार की उम्मीद थी वो नहीं मिल पाया | शादी के बाद इनके यहा ३ लड़कीओ ने जन्म लिया | जिम्मेदारिया अब बढ़ गई थी | जॉब भी अच्छी चल रही थी | पत्नी से जिस प्यार की उम्मीद थी वो नहीं मिल पाया | उनकी लाइफ में एक लड़की का आना हुआ | जो अच्छी दोस्त बनी लेकिन वो लड़की सिर्फ इनके पैसो पर ऐश करना चाहती थी | जब जरूरत होती तब इनसे पैसे मांगती | फिर अचानक एक दिन उसने शादी कर ली इनको बताया तक नहीं दोस्ती का भी ख्याल नहीं आया | इस बात पर उनको गुस्सा भी बहुत आया |फिर ध्यान सिर्फ काम पर ही था | इन्होने ने खूब कमाया अब खुद का फ्लैट अहमदाबाद में बहुत फेमस एरिया में ले लिया था | लेकिन इनको प्यार अभी तक नहीं मिल पाया | फिर एक लड़की जिनसे इनकी दोस्ती social media पर से हुई दोनों की understanding अच्छी थी दोनों एक दूसरे को समझने लगे | और खूब बाते करते वो खुद से ज्यादा हमेशा दुसरो का ही सोचा करते थे | उन्होंने के दोस्त के लिए बहुत कुछ किया उसे जॉब के लिए प्रेरित किया दोनों एक दूसरे की दोस्ती से बहुत खुश थे | अब क्या था एक दिन अचानक जहां वो जॉब कर रहे थे वह company भी बंद हो गई थी | वो कंपनी फ्रॉड थी| फिर क्या वो वही पहले वही कंडीशन में आगये थे | क्युकी उन्होंने पैसा बचाना कभी सीखा ही नहीं जॉब से जोभी पैसा आया वो सारा पैसा लोगो की मदद में या उधारी में दे दिया |पत्नी , बच्चो और फॅमिली की अच्छी परवरिश में लगा दिया | अब वो खुद उदारी में दुब चुके थे | क्युकी की जब तक नै जॉब नहीं मिलती उनके पास पैसा कहा से आता | अब उन्होंने सोचा कही जॉब करने से अच्छा खुद का एक कारोबार शुरू किया जाये | अब उनका सफर शुरू होता है | सबसे पहले उन्हें एक ऑफिस की खोज की खूब दौड़ भाग के बाद उन्हें एक ऑफिस मिल गया |कम दामों में और अब उन्होंने खुद का कारोबार शुरू किया | कारोबार के लिए खूब दौड़ भाग कर रहे थे | फिर भी कही उनको सफलता नहीं मिल रही थी| उनका काम था रियल स्टेट का एक दिन आया की उनकी एक क्लाइंट से डील फिक्स्ड हो गई | उन्हें ४ लाख का प्रॉफिट हो गया | अब क़्या था | उनका काम धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा | और वो दिन दिन सफलता की और बढ़ते गए | काम के पीछे उन्होंने सबसे रिश्ता तोड़ दिया था न कोई दोस्त न फॅमिली सिर्फ काम काम और काम एक ही मकसद था वो अपनी अच्छी दोस्त से भी दूरिया बना ली थी | वह उनसे बात करने की काफी कोशिश करती लेकिन वो उन्हें समय भी नहीं दे पा रहे थे |उनके काम के बिच में कभी भी उनकी दोस्त नहीं आई | नहीं उनकी किसी बात का उसे बुरा लगता | वह समज गई थी की उनकी मज़बूरी क्या है | अब उनका फिर से समय अच्छा आया | अब फिर से उन्होंने सबसे पहले अपने प्यारी दोस्त को याद किया | उससे बात की और अपनी सफलता का जिक्र किया |उस समय उनकी दोस्त बहुत खुश थी की उन्हें में याद तो हूँ | उसने एक शानदार पार्टी उनके लिए THROW की | वो दिन था फ्रेंडशिप का ४ AUG का | ये कहानी थी मेरे एक सच्चे और अच्छे दोस्त की जिसने मुसीबत में नहीं एक लेकिन अपने अच्छे समय में सबसे पहले याद किया | और आज वो मेरी हर मुसीबत में साथ खड़े है और पहले भी खड़े थे | बस कुछ समय ऐसा था की वो दोस्त को समय नहीं दे पा रहे थे | क्यों की उन्हें पता था वो अभी खुश है | उसके साथ उसकी फॅमिली है |लेकिन आज में SURE हूँ अगर मुझ पर कोई मुसीबत आये तो वो मेरे साथ खड़े रहेंगे | THANK YOU MY BEST FRIEND ,THANK YOU COMING IN MY LI FE , ''FRIEND FOREVER''
लाइफ में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए | सबसे पहले अपने काम को महत्त्व देना चाहिए | वही इंसान सफल होता है जो काम को महत्त्व देता है |
THE END
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